इनकी दशा फ़िरऔनियों तथा उन लोगों जैसी हुई, जो उनसे पहले थे। उन्होंने अल्लाह की आयतों को झुठलाया, तो हमने उन्हें उनके पापों के कारण विनष्ट कर दिया तथा फ़िरऔनियों को डुबो दिया। और वे सभी अत्याचारी थे।[26]
सूरह अल-अन्फ़ाल आयत 54 तफ़सीर
26. इस आयत में तथा आयत संख्या 52 में व्यक्तियों तथा जातियों के उत्थान और पतन का विधान बताया गया है कि वे स्वयं अपने कर्मों से अपना-अपना जीवन बनाती या अपना विनाश करती हैं।
सूरह अल-अन्फ़ाल आयत 54 तफ़सीर