इस हाल में कि अल्लाह के लिए एकाग्र होने वाले हो, उसके साथ किसी को साझी करने वाले न हो। और जो अल्लाह के साथ साझी ठहराए, तो मानो वह आकाश से गिर पड़ा। फिर उसे पक्षी उचक लेते हैं, अथवा उसे हवा किसी दूर स्थान में गिरा देती है।[22]
सूरह अल-हज्ज आयत 31 तफ़सीर
22. यह शिर्क के परिणाम का उदाहरण है कि मनुष्य शिर्क के कारण स्वभाविक ऊँचाई से गिर जाता है। फिर उसे शैतान पक्षियों के समान उचक ले जाते हैं, और वह नीच बन जाता है। फिर उसमें कभी ऊँचा विचार उत्पन्न नहीं होता, और वह मानसिक तथा नैतिक पतन की ओर ही झुका रहता है।
सूरह अल-हज्ज आयत 31 तफ़सीर