इससे पहले, लोगों के मार्गदर्शन के लिए। और उसने फ़ुरक़ान (सत्य और असत्य में अंतर करने वाला मानदंड) उतारा।[1] निःसंदेह जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों का इनकार किया, उनके लिए बहुत कड़ी यातना है। और अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली, बदला लेने वाला है।
सूरह आल-ए-इमरान आयत 4 तफ़सीर
1. अर्थात तौरात और इंजील अपने समय में लोगों के लिए मार्गदर्शन थे, परंतु फ़ुरक़ान (क़ुरआन) उतरने के पश्चात् अब वह मार्गदर्शन केवल क़ुरआन पाक में है।
सूरह आल-ए-इमरान आयत 4 तफ़सीर