(ऐ नबी!) ये ग़ैब (परोक्ष) की कुछ सूचनाएँ हैं, जो हम आपकी ओर वह़्य कर रहे हैं और आप उस समय उनके पास मौजूद न थे, जब वे अपनी क़लमों[20] को फेंक रहे थे कि उनमें से कौन मरयम की किफ़ालत करे और न आप उस समय उनके पास थे, जब वे झगड़ रहे थे।
सूरह आल-ए-इमरान आयत 44 तफ़सीर
20. अर्थात यह निर्णय करने के लिए कि मरयम का संरक्षक कौन हो?
सूरह आल-ए-इमरान आयत 44 तफ़सीर