तो क्या वे अल्लाह के धर्म (इस्लाम) के अलावा कुछ और तलाश करते हैं? जबकि आकाशों और धरती में जो भी है स्वेच्छा से और अनिच्छा से उसी का आज्ञाकारी[45] है तथा वे उसी की ओर लौटाए[46] जाएँगे।
सूरह आल-ए-इमरान आयत 83 तफ़सीर
45. अर्थात उसी की आज्ञा तथा व्यवस्था के अधीन हैं। फिर तुम्हें इस स्वभाविक धर्म से इनकार क्यों है? 46. अर्थात प्रलय के दिन अपने कर्मों के प्रतिफल के लिए।
सूरह आल-ए-इमरान आयत 83 तफ़सीर