कुरान - 75:2 सूरह अल-क़ियामह हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

وَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلنَّفۡسِ ٱللَّوَّامَةِ

तथा मैं क़सम खाता हूँ निंदा[2] करने वाली अंतरात्मा की।

सूरह अल-क़ियामह आयत 2 तफ़सीर


2. मनुष्य की अंतरात्मा की यह विशेषता है कि वह बुराई करने पर उसकी निंदा करती है।

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