क्या वे इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि उनके पास फ़रिश्ते[11] आ जाएँ, अथवा आपके पालनहार का आदेश[12] आ पहुँचे? ऐसे ही उन लोगों ने किया, जो इनसे पहले थे और अल्लाह ने उनपर अत्याचार नहीं किया, लेकिन वे स्वयं अपने आपपर अत्याचार किया करते थे।
सूरह अन-नहल आयत 33 तफ़सीर
11. अर्थात प्राण निकालने के लिए। 12. अर्थात अल्लाह की यातना या प्रलय।
सूरह अन-नहल आयत 33 तफ़सीर