व्यभिचारी नहीं विवाह[4] करेगा, परंतु किसी व्यभिचारिणी अथवा बहुदेववादी स्त्री से, तथा व्यभिचारिणी से नहीं विवाह करेगा, परंतु कोई व्यभिचारी अथवा बहुदेववादी। और यह ईमान वालों पर हराम (निषिद्ध) कर दिया गया है।
सूरह अन-नूर आयत 3 तफ़सीर
4. आयत का अर्थ यह है कि साधारणतः कुकर्मी विवाह के लिए अपने ही जैसों की ओर आकर्षित होते हैं। अतः व्यभिचारिणी, व्यभिचारी ही से विवाह करने में रूचि रखती है। इसमें ईमानवालों को सतर्क किया गया है कि जिस प्रकार व्यभिचार महा पाप है उसी प्रकार व्यभिचारियों के साथ विवाह संबंध स्थापित करना भी निषिद्ध है। कुछ भाष्यकारों ने यहाँ विवाह का अर्थ व्यभिचार लिया है।
सूरह अन-नूर आयत 3 तफ़सीर