तो यदि अल्लाह आपको इन (मुनाफ़िक़ों) के किसी गिरोह की ओर वापस ले आए, फिर वे आपसे (युद्ध में) निकलने की अनुमति माँगें, तो आप कह दें : तुम मेरे साथ कभी नहीं निकलोगे और मेरे साथ मिलकर किसी शत्रु से नहीं लड़ोगे। निःसंदेह तुम प्रथम बार बैठे रहने पर प्रसन्न हुए, अतः पीछे रहने वालों के साथ बैठे रहो।
Surah Ayat 83 Tafsir (Commentry)
(1) آزمانے کا مطلب یہ ہے کہ ہم نے انہیں دنیوی خوشی، خوشحالی وفراغت سے نوازا اور پھر اپنا جلیل القدر پیغمبر بھی ان کی طرف ارسال کیا لیکن انہوں نے رب کی نعمتوں کا شکر ادا کیا اور نہ پیغمبر پر ایمان لائے۔
Surah Ayat 83 Tafsir (Commentry)