तथा तुम (पाप करते समय) छिपते[7] भी नहीं थे कि कहीं तुम्हारे कान, तुम्हारी आँखें और तुम्हारी खालें तुम्हारे विरुद्ध गवाही न दे दें। बल्कि, तुम यह समझते रहे कि अल्लाह उनमें से अधिकतर बातों को जानता ही नहीं, जो तुम करते हो।
सूरह हामीम अस-सजदा आयत 22 तफ़सीर
7. आदरणीय अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि ख़ाना काबा के पास एक घर में दो क़ुरैशी तथा एक सक़फ़ी अथवा दो सक़फ़ी और एक क़ुरैशी थे। तो एक ने दूसरे से कहा कि तुम समझते हो कि अल्लाह हमारी बातें सुन रहा है? किसी ने कहा : यदि कुछ सुनता है तो सब कुछ सुनता है। उसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4816, 4817, 7521)
सूरह हामीम अस-सजदा आयत 22 तफ़सीर