निःसंदेह तुम जिसकी ओर मुझे बुला रहे हो, वह न तो दुनिया में पुकारे जाने के योग्य[11] है और न आख़िरत में। तथा यह कि निश्चय हमारा लौटना अल्लाह की ओर है और यह कि निश्चय हद से आगे बढ़ने वाले ही, आग में रहने वाले हैं।
Surah Ayat 43 Tafsir (Commentry)
11. क्योंकि लोक तथा परलोक में कोई सहायता नही कर सकते। (देखिए : सूरत-फ़ातिर, आयत : 140, तथा सूरतुल-ह़्क़ाफ़, आयत : 5)
Surah Ayat 43 Tafsir (Commentry)