आप कह दें : मैं बस तुम्हें एक बात की नसीहत करता हूँ कि तुम अल्लाह के लिए दो-दो तथा अकेले-अकेले खड़े हो जाओ। फिर सोचो। तुम्हारे साथी[40] में कोई पागलपन नहीं है। वह तो केवल तुम्हें एक कठोर यातना के आने से पहले डराने वाला है।
Surah Ayat 46 Tafsir (Commentry)
40. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दशा के बारे में।
Surah Ayat 46 Tafsir (Commentry)