तथा वही अपने बंदों पर ग़ालिब (हावी) है और वह तुमपर रक्षकों[47] को भेजता है। यहाँ तक कि जब तुममें से किसी को मौत आती है, तो हमारे फ़रिश्ते उसका प्राण निकाल लेते हैं और वे कोताही नहीं करते।
सूरह अल-अनआम आयत 61 तफ़सीर
47. अर्थात फ़रिश्तों को तुम्हारे कर्म लिखने के लिए।
सूरह अल-अनआम आयत 61 तफ़सीर