तथा यह (क़ुरआन) एक पुस्तक है, जिसे हमने उतारा है, बड़ी बरकत वाली है, उसकी पुष्टि करने वाली है जो उससे पहले है, और ताकि आप बस्तियों के केंद्र (मक्का) तथा उसके चारों ओर के लोगों को डराएँ[61], तथा जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते हैं, वे इसपर ईमान लाते हैं और वे अपनी नमाज़ों की रक्षा[62] करते हैं।
सूरह अल-अनआम आयत 92 तफ़सीर
61. अर्थात पूरे मानव संसार को अल्लाह की अवज्ञा के दुष्परिणाम से सावधान करें। इसमें यह संकेत है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पूरे मानव संसार के पथपर्दर्शक तथा क़ुरआन सबके लिए मार्गदर्शन है। और आप केवल किसी एक जाति या क्षेत्र अथवा देश के लिए नबी नहीं हैं। 62. अर्थात नमाज़ उसके निर्धारित समय पर बराबर पढ़ते हैं।
सूरह अल-अनआम आयत 92 तफ़सीर