तो उनकी जाति के उन प्रमुखों ने कहा, जिन्होंने कुफ्र किया था : हम तो तुम्हें अपने ही जैसा इनसान समझते हैं और हम देख रहे हैं कि तुम्हारा अनुसरण केवल वही लोग कर रहे हैं, जो हम में नीच हैं, जिन्होंने बिना सोचे-समझे तुम्हारी पैरवी की है।और हम अपने ऊपर तुम्हारी कोई श्रेष्ठता भी नहीं देखते। बल्कि हम तो तुम्हें झूठा समझते हैं।
Surah Ayat 27 Tafsir (Commentry)
(1) یعنی کفر و معصیت سے توبہ کر کے فوراً بارگاہ الٰہی میں جھک جاؤ، اس میں تاخیر مت کرو۔
Surah Ayat 27 Tafsir (Commentry)