और समूद[20] की ओर उनके भाई सालेह़ को भेजा। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अल्लाह की इबादत (पूजा) करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं है। उसी ने तुम्हें धरती से पैदा किया और तुम्हें उसमें बसाया। अतः उससे क्षमा माँगो; फिर उसकी ओर पलट आओ। निःसंदेह मेरा पालनहार निकट है (और प्रार्थनाओं को) स्वीकार करने वाला है।[21]
सूरह हूद आयत 61 तफ़सीर
20. यह जाति तबूक और मदीना के बीच "अल-ह़िज्र" में आबाद थी। 21. देखिए : सूरतुल-बक़रह, आयत : 186.
सूरह हूद आयत 61 तफ़सीर