और मैंने अपने बाप-दादाओं; इबराहीम, इसह़ाक़ और याक़ूब के धर्म का अनुसरण किया है। हमारे लिए वैध नहीं कि हम किसी चीज़ को अल्लाह का साझी बनाएँ। यह हमपर और लोगों पर अल्लाह की कृपा है। लेकिन अधिकतर लोग शुक्रिया अदा नहीं करते।[11]
सूरह यूसुफ़ आयत 38 तफ़सीर
11. अर्थात तौह़ीद और नबियों के धर्म को नहीं मानते जो अल्लाह का उपकार है।
सूरह यूसुफ़ आयत 38 तफ़सीर