और जब उन्होंने अपना सामान खोला, तो देखा कि उनका मूलधन उन्हें लौटा दिया गया है। वे बोल उठे : पिता जी! हमें और क्या चाहिए? यह हमारा धन हमें वापस कर दिया गया है। (अब) हम अपने घर वालों के लिए ग़ल्ला लाएँगे और अपने भाई की रक्षा करेंगे और एक ऊँट के बोझभर (ग़ल्ला) अधिक[19] लाएँगे। यह माप तो बहुत आसान है।
सूरह यूसुफ़ आयत 65 तफ़सीर
19. अर्थात अपने भाई बिनयामीन का जो उनकी दूसरी माँ से था।
सूरह यूसुफ़ आयत 65 तफ़सीर