उसने कहा : मैंने वह चीज़ देखी, जो इन लोगों नहीं देखी, तो मैंने रसूल के पदचिह्न से एक मुट्ठी उठाली, फिर मैंने उसे डाल दिया और मेरे दिल ने इसी तरह करना मेरे लिए सुसज्जित कर दिया।[33]
सूरह ता-हा आयत 96 तफ़सीर
33. अधिकांश भाष्यकारों ने रसूल से अभिप्राय जिबरील (फ़रिश्ता) लिया है। अर्थ यह है कि सामिरी ने यह बात बनाई कि जब उसने फ़िरऔन और उसकी सेना के डूबने के समय जिबरील (अलैहिस्सलाम) को घोड़े पर सवार वहाँ देखा, तो उन के घोड़े के पद्चिह्न की मिट्टी रख ली। और जब सोने का बछड़ा बनाकर उस धूल को उसपर फेंक दिया, तो उसके प्रभाव से उसमें से एक प्रकार की आवाज़ निकलने लगी, जो उनके कुपथ होने का कारण बनी।
सूरह ता-हा आयत 96 तफ़सीर