بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
۞تُرۡجِي مَن تَشَآءُ مِنۡهُنَّ وَتُـٔۡوِيٓ إِلَيۡكَ مَن تَشَآءُۖ وَمَنِ ٱبۡتَغَيۡتَ مِمَّنۡ عَزَلۡتَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيۡكَۚ ذَٰلِكَ أَدۡنَىٰٓ أَن تَقَرَّ أَعۡيُنُهُنَّ وَلَا يَحۡزَنَّ وَيَرۡضَيۡنَ بِمَآ ءَاتَيۡتَهُنَّ كُلُّهُنَّۚ وَٱللَّهُ يَعۡلَمُ مَا فِي قُلُوبِكُمۡۚ وَكَانَ ٱللَّهُ عَلِيمًا حَلِيمٗا
आप अपनी पत्नियों में से जिसे चाहें (उसकी बारी) स्थगित कर दें, और जिसे चाहें अपने साथ रखें, और जिन्हें आपने अलग रखा है, उनमें से जिसकी भी आप (अपने पास रखने की) इच्छा करें, तो इसमें आपपर कोई दोष नहीं है। यह इस बात के अधिक निकट है कि उनकी आँखें ठंडी रहें और वे शोकाकुल न हों, तथा जो कुछ आप उन्हें दें, उससे वे सब संतुष्ट रहें। और जो कुछ तुम्हारे दिलों[38] में है, अल्लाह उससे अवगत है। और अल्लाह सब कुछ जानने वाला, बहुत सहनशील[39] है।
لَّا يَحِلُّ لَكَ ٱلنِّسَآءُ مِنۢ بَعۡدُ وَلَآ أَن تَبَدَّلَ بِهِنَّ مِنۡ أَزۡوَٰجٖ وَلَوۡ أَعۡجَبَكَ حُسۡنُهُنَّ إِلَّا مَا مَلَكَتۡ يَمِينُكَۗ وَكَانَ ٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ رَّقِيبٗا
(ऐ नबी!) इसके पश्चात् आपके लिए अन्य स्त्रियाँ हलाल (वैध) नहीं हैं, और न यह कि आप उन्हें दूसरी पत्नियों से बदलें[40], यद्यपि उनका सौंदर्य आपको भा जाए, सिवाय उन दासियों के जो आपके स्वामित्व में आ जाएँ। तथा अल्लाह प्रत्येक वस्तु का निरीक्षक है।
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ لَا تَدۡخُلُواْ بُيُوتَ ٱلنَّبِيِّ إِلَّآ أَن يُؤۡذَنَ لَكُمۡ إِلَىٰ طَعَامٍ غَيۡرَ نَٰظِرِينَ إِنَىٰهُ وَلَٰكِنۡ إِذَا دُعِيتُمۡ فَٱدۡخُلُواْ فَإِذَا طَعِمۡتُمۡ فَٱنتَشِرُواْ وَلَا مُسۡتَـٔۡنِسِينَ لِحَدِيثٍۚ إِنَّ ذَٰلِكُمۡ كَانَ يُؤۡذِي ٱلنَّبِيَّ فَيَسۡتَحۡيِۦ مِنكُمۡۖ وَٱللَّهُ لَا يَسۡتَحۡيِۦ مِنَ ٱلۡحَقِّۚ وَإِذَا سَأَلۡتُمُوهُنَّ مَتَٰعٗا فَسۡـَٔلُوهُنَّ مِن وَرَآءِ حِجَابٖۚ ذَٰلِكُمۡ أَطۡهَرُ لِقُلُوبِكُمۡ وَقُلُوبِهِنَّۚ وَمَا كَانَ لَكُمۡ أَن تُؤۡذُواْ رَسُولَ ٱللَّهِ وَلَآ أَن تَنكِحُوٓاْ أَزۡوَٰجَهُۥ مِنۢ بَعۡدِهِۦٓ أَبَدًاۚ إِنَّ ذَٰلِكُمۡ كَانَ عِندَ ٱللَّهِ عَظِيمًا
ऐ ईमान वालो! नबी के घरों में प्रवेश न करो, सिवाय इसके कि तुम्हें भोजन के लिए अनुमति दी जाए। परंतु भोजन पकने की प्रतीक्षा में (देर तक बैठे) न रहो। बल्कि जब बुलाए जाओ, तो प्रवेश करो। फिर जब भोजन कर लो, तो निकल जाओ। बातों में न लगे रहो। निश्चय ही इससे नबी को कष्ट पहुँचता है। लेकिन उन्हें तुमसे (बाहर जाने को कहने में) शर्म आती है। किंतु अल्लाह सत्य बात से नहीं शरमाता।[41] तथा जब तुम नबी की पत्नियों से कुछ माँगो, तो पर्दे के पीछे से माँगो। यह तुम्हारे दिलों तथा उनके दिलों के लिए अधिक पवित्रता का कारण है। और तुम्हारे लिए यह उचित नहीं है कि तुम अल्लाह के रसूल को कष्ट पहुँचाओ, और न यह कि तुम उनके पश्चात् कभी उनकी पत्नियों से विवाह करो। निःसंदेह यह अल्लाह के निकट बहुत बड़ा (पाप) है।
إِن تُبۡدُواْ شَيۡـًٔا أَوۡ تُخۡفُوهُ فَإِنَّ ٱللَّهَ كَانَ بِكُلِّ شَيۡءٍ عَلِيمٗا
यदि तुम किसी चीज़ को प्रकट करो अथवा उसे गुप्त रखो, अल्लाह प्रत्येक वस्तु को अच्छी तरह जानता है।
لَّا جُنَاحَ عَلَيۡهِنَّ فِيٓ ءَابَآئِهِنَّ وَلَآ أَبۡنَآئِهِنَّ وَلَآ إِخۡوَٰنِهِنَّ وَلَآ أَبۡنَآءِ إِخۡوَٰنِهِنَّ وَلَآ أَبۡنَآءِ أَخَوَٰتِهِنَّ وَلَا نِسَآئِهِنَّ وَلَا مَا مَلَكَتۡ أَيۡمَٰنُهُنَّۗ وَٱتَّقِينَ ٱللَّهَۚ إِنَّ ٱللَّهَ كَانَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ شَهِيدًا
स्त्रियों पर अपने पिताओं, अपने बेटों, अपने भाइयों, अपने भाइयों के बेटों (भतीजों), अपनी बहनों के बेटों (भांजों), अपनी (मेल-जोल की) स्त्रियों और उन (दासों एवं दासियों) से, जो उनके स्वामित्व में हैं, पर्दा न करने में कोई पाप नहीं है। और (ऐ स्त्रियो) तुम अल्लाह से डरती रहो। निःसंदेह अल्लाह प्रत्येक चीज़ का साक्षी है।
إِنَّ ٱللَّهَ وَمَلَـٰٓئِكَتَهُۥ يُصَلُّونَ عَلَى ٱلنَّبِيِّۚ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ صَلُّواْ عَلَيۡهِ وَسَلِّمُواْ تَسۡلِيمًا
निःसंदेह अल्लाह तथा उसके फ़रिश्ते नबी पर दुरूद[42] भेजते हैं। ऐ ईमान वालो! तुम (भी) उनपर दुरूद तथा बहुत सलाम भेजा करो।
إِنَّ ٱلَّذِينَ يُؤۡذُونَ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ لَعَنَهُمُ ٱللَّهُ فِي ٱلدُّنۡيَا وَٱلۡأٓخِرَةِ وَأَعَدَّ لَهُمۡ عَذَابٗا مُّهِينٗا
निःसंदेह जो लोग अल्लाह तथा उसके रसूल को कष्ट पहुँचाते हैं, अल्लाह ने उन्हें दुनिया एवं आखिरत में धिक्कार दिया है और उनके लिए अपमानकारी यातना तैयार की है।
وَٱلَّذِينَ يُؤۡذُونَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ وَٱلۡمُؤۡمِنَٰتِ بِغَيۡرِ مَا ٱكۡتَسَبُواْ فَقَدِ ٱحۡتَمَلُواْ بُهۡتَٰنٗا وَإِثۡمٗا مُّبِينٗا
और जो लोग ईमान वाले पुरुषों तथा ईमान वाली स्त्रियों को कष्ट पहुँचाते हैं, बिना इसके कि उन्होंने कुछ (अपराध) किया हो, तो उन्होंने मिथ्यारोपण और स्पष्ट पाप का बोझ उठाया।
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِيُّ قُل لِّأَزۡوَٰجِكَ وَبَنَاتِكَ وَنِسَآءِ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ يُدۡنِينَ عَلَيۡهِنَّ مِن جَلَٰبِيبِهِنَّۚ ذَٰلِكَ أَدۡنَىٰٓ أَن يُعۡرَفۡنَ فَلَا يُؤۡذَيۡنَۗ وَكَانَ ٱللَّهُ غَفُورٗا رَّحِيمٗا
ऐ नबी! अपनी पत्नियों, अपनी बेटियों और ईमान वाले लोगों की स्त्रियों से कह दें कि वे अपने ऊपर अपनी चादरें डाल लिया करें। यह इसके अधिक निकट है कि वे पहचान ली जाएँ, फिर उन्हें कष्ट न पहुँचाया[43] जाए। और अल्लाह बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत दयावान् है।
۞لَّئِن لَّمۡ يَنتَهِ ٱلۡمُنَٰفِقُونَ وَٱلَّذِينَ فِي قُلُوبِهِم مَّرَضٞ وَٱلۡمُرۡجِفُونَ فِي ٱلۡمَدِينَةِ لَنُغۡرِيَنَّكَ بِهِمۡ ثُمَّ لَا يُجَاوِرُونَكَ فِيهَآ إِلَّا قَلِيلٗا
यदि मुनाफ़िक़[44] तथा वे लोग जिनके दिलों में रोग है और मदीना में अफ़वाह फैलाने वाले बाज़ नहीं आए, तो हम आपको उनके पीछे लगा देंगे। फिर वे आपके साथ उसमें थोड़े ही समय के लिए रह सकेंगे।