सूरह अल-अनाम - हिन्दी अनुवाद, लिप्यंतरण, तफ्सीर - आयात [90-100] तक

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بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ

 

وَمَا قَدَرُواْ ٱللَّهَ حَقَّ قَدۡرِهِۦٓ إِذۡ قَالُواْ مَآ أَنزَلَ ٱللَّهُ عَلَىٰ بَشَرٖ مِّن شَيۡءٖۗ قُلۡ مَنۡ أَنزَلَ ٱلۡكِتَٰبَ ٱلَّذِي جَآءَ بِهِۦ مُوسَىٰ نُورٗا وَهُدٗى لِّلنَّاسِۖ تَجۡعَلُونَهُۥ قَرَاطِيسَ تُبۡدُونَهَا وَتُخۡفُونَ كَثِيرٗاۖ وَعُلِّمۡتُم مَّا لَمۡ تَعۡلَمُوٓاْ أَنتُمۡ وَلَآ ءَابَآؤُكُمۡۖ قُلِ ٱللَّهُۖ ثُمَّ ذَرۡهُمۡ فِي خَوۡضِهِمۡ يَلۡعَبُونَ

तथा उन्होंने अल्लाह की महिमा नहीं की, जो उसकी महिमा का हक़ था, जब उन्होंने कहा कि अल्लाह ने किसी मनुष्य पर कोई चीज़ नहीं उतारी। कहो : वह पुस्तक किसने उतारी, जो मूसा लेकर आए? जो लोगों के लिए प्रकाश तथा मार्गदर्शन थी, तुम उसे पन्नों में करके रखते हो, जिन्हें तुम प्रकट करते हो और बहुत-से छिपाते हो, तथा तुम्हें वह ज्ञान दिया गया, जिसे न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप-दादा। आप कह दें कि अल्लाह ने। फिर उन्हें छोड़ दें अपनी व्यर्थ की चर्चा में खेलते रहें।

وَهَٰذَا كِتَٰبٌ أَنزَلۡنَٰهُ مُبَارَكٞ مُّصَدِّقُ ٱلَّذِي بَيۡنَ يَدَيۡهِ وَلِتُنذِرَ أُمَّ ٱلۡقُرَىٰ وَمَنۡ حَوۡلَهَاۚ وَٱلَّذِينَ يُؤۡمِنُونَ بِٱلۡأٓخِرَةِ يُؤۡمِنُونَ بِهِۦۖ وَهُمۡ عَلَىٰ صَلَاتِهِمۡ يُحَافِظُونَ

तथा यह (क़ुरआन) एक पुस्तक है, जिसे हमने उतारा है, बड़ी बरकत वाली है, उसकी पुष्टि करने वाली है जो उससे पहले है, और ताकि आप बस्तियों के केंद्र (मक्का) तथा उसके चारों ओर के लोगों को डराएँ[61], तथा जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते हैं, वे इसपर ईमान लाते हैं और वे अपनी नमाज़ों की रक्षा[62] करते हैं।

وَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّنِ ٱفۡتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًا أَوۡ قَالَ أُوحِيَ إِلَيَّ وَلَمۡ يُوحَ إِلَيۡهِ شَيۡءٞ وَمَن قَالَ سَأُنزِلُ مِثۡلَ مَآ أَنزَلَ ٱللَّهُۗ وَلَوۡ تَرَىٰٓ إِذِ ٱلظَّـٰلِمُونَ فِي غَمَرَٰتِ ٱلۡمَوۡتِ وَٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ بَاسِطُوٓاْ أَيۡدِيهِمۡ أَخۡرِجُوٓاْ أَنفُسَكُمُۖ ٱلۡيَوۡمَ تُجۡزَوۡنَ عَذَابَ ٱلۡهُونِ بِمَا كُنتُمۡ تَقُولُونَ عَلَى ٱللَّهِ غَيۡرَ ٱلۡحَقِّ وَكُنتُمۡ عَنۡ ءَايَٰتِهِۦ تَسۡتَكۡبِرُونَ

और उससे बढ़कर अत्याचारी कौन है, जो अल्लाह पर झूठ गढ़े, या कहे कि मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) की गई है, हालाँकि उसकी ओर कोई चीज़ वह़्य (प्रकाशना) नहीं की गई तथा जो कहे कि अल्लाह ने जो उतारा है, उसके समान मैं (भी) उतार दूँगा। और काश! (ऐ नबी!) आप देखें जब अत्याचारी लोग मौत की कठिनाइयों में होते हैं और फ़रिश्ते अपने हाथ फैलाए हुए होते हैं, (कहते हैं) : निकालो अपने प्राण! आज तुम्हें अपमानजनक यातना दी जाएगी, इस कारण कि तुम अल्लाह पर अनुचित (झूठ) बातें कहते थे और तुम उसकी आयतों (को मानने) से अभिमान करते थे।

وَلَقَدۡ جِئۡتُمُونَا فُرَٰدَىٰ كَمَا خَلَقۡنَٰكُمۡ أَوَّلَ مَرَّةٖ وَتَرَكۡتُم مَّا خَوَّلۡنَٰكُمۡ وَرَآءَ ظُهُورِكُمۡۖ وَمَا نَرَىٰ مَعَكُمۡ شُفَعَآءَكُمُ ٱلَّذِينَ زَعَمۡتُمۡ أَنَّهُمۡ فِيكُمۡ شُرَكَـٰٓؤُاْۚ لَقَد تَّقَطَّعَ بَيۡنَكُمۡ وَضَلَّ عَنكُم مَّا كُنتُمۡ تَزۡعُمُونَ

तथा निःसंदेह तुम हमारे पास अकेले-अकेले आए हो, जैसे हमने तुम्हें प्रथम बार पैदा किया था, तथा हमने जो कुछ तु्म्हें दिया था, अपनी पीठों के पीछे छोड़ आए हो और हम तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफ़ारिशियों को नहीं देखते, जिनके बारे में तुम्हारा भ्रम था कि निःसंदेह वे तुम्हारे कामों में (अल्लाह के) साझी हैं? निश्चय तुम्हारे बीच का संबंध कट गया और तुमसे गुम हो गया, जो कुछ तुम गुमान किया करते थे।

۞إِنَّ ٱللَّهَ فَالِقُ ٱلۡحَبِّ وَٱلنَّوَىٰۖ يُخۡرِجُ ٱلۡحَيَّ مِنَ ٱلۡمَيِّتِ وَمُخۡرِجُ ٱلۡمَيِّتِ مِنَ ٱلۡحَيِّۚ ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُۖ فَأَنَّىٰ تُؤۡفَكُونَ

निःसंदेह अल्लाह ही दाने तथा गुठलियों को फाड़ने वाला है। वह सजीव को निर्जीव से निकालता है तथा निर्जीव को सजीव से निकालने वाला है। यही अल्लाह है, फिर तुम कहाँ बहकाए जाते हो?

فَالِقُ ٱلۡإِصۡبَاحِ وَجَعَلَ ٱلَّيۡلَ سَكَنٗا وَٱلشَّمۡسَ وَٱلۡقَمَرَ حُسۡبَانٗاۚ ذَٰلِكَ تَقۡدِيرُ ٱلۡعَزِيزِ ٱلۡعَلِيمِ

(वही) पौ फाड़ने वाला है और उसी ने रात को आराम के लिए तथा सूर्य और चाँद को हिसाब का साधन बनाया। यह अति प्रभुत्वशाली, सब कुछ जानने वाले का ठहराया हुआ अंदाज़ा[63] है।

وَهُوَ ٱلَّذِي جَعَلَ لَكُمُ ٱلنُّجُومَ لِتَهۡتَدُواْ بِهَا فِي ظُلُمَٰتِ ٱلۡبَرِّ وَٱلۡبَحۡرِۗ قَدۡ فَصَّلۡنَا ٱلۡأٓيَٰتِ لِقَوۡمٖ يَعۡلَمُونَ

तथा वही है जिसने तुम्हारे लिए तारे बनाए, ताकि तुम उनके द्वारा थल और समुद्र के अँधेरों में मार्ग पा सको। निःसंदेह हमने उन लोगों के लिए खोलकर निशानियाँ बयान कर दी हैं, जो ज्ञान रखते हैं।

وَهُوَ ٱلَّذِيٓ أَنشَأَكُم مِّن نَّفۡسٖ وَٰحِدَةٖ فَمُسۡتَقَرّٞ وَمُسۡتَوۡدَعٞۗ قَدۡ فَصَّلۡنَا ٱلۡأٓيَٰتِ لِقَوۡمٖ يَفۡقَهُونَ

वही है, जिसने तुम्हें एक जान से पैदा किया। फिर एक ठहरने का स्थान और एक सौंपे जाने का स्थान है। निःसंदहे हमने उन लोगों के लिए निशानियाँ खोलकर बयान कर दी हैं, जो समझते हैं।

وَهُوَ ٱلَّذِيٓ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَأَخۡرَجۡنَا بِهِۦ نَبَاتَ كُلِّ شَيۡءٖ فَأَخۡرَجۡنَا مِنۡهُ خَضِرٗا نُّخۡرِجُ مِنۡهُ حَبّٗا مُّتَرَاكِبٗا وَمِنَ ٱلنَّخۡلِ مِن طَلۡعِهَا قِنۡوَانٞ دَانِيَةٞ وَجَنَّـٰتٖ مِّنۡ أَعۡنَابٖ وَٱلزَّيۡتُونَ وَٱلرُّمَّانَ مُشۡتَبِهٗا وَغَيۡرَ مُتَشَٰبِهٍۗ ٱنظُرُوٓاْ إِلَىٰ ثَمَرِهِۦٓ إِذَآ أَثۡمَرَ وَيَنۡعِهِۦٓۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكُمۡ لَأٓيَٰتٖ لِّقَوۡمٖ يُؤۡمِنُونَ

तथा वही है जिसने आकाश से कुछ पानी उतारा, फिर हमने उसके द्वारा प्रत्येक प्रकार के पौधे निकाले। फिर हमने उससे हरियाली निकाली। जिसमें से हम तह-ब-तह चढ़े हुए दाने निकालते हैं तथा खजूर के पेड़ों से उनके गाभे से झुके हुए गुच्छे हैं तथा अंगूरों के बाग़ और ज़ैतून और अनार मिलते-जुलते और न मिलने-जुलने वाले। उसके फल को देखो, जब वह फल लाए तथा उसके पकने की ओर। निःसंदेह इनमें उन लोगों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ[64] हैं, जो ईमान लाते हैं।

وَجَعَلُواْ لِلَّهِ شُرَكَآءَ ٱلۡجِنَّ وَخَلَقَهُمۡۖ وَخَرَقُواْ لَهُۥ بَنِينَ وَبَنَٰتِۭ بِغَيۡرِ عِلۡمٖۚ سُبۡحَٰنَهُۥ وَتَعَٰلَىٰ عَمَّا يَصِفُونَ

और उन्होंने जिन्नों को अल्लाह का साझी बना दिया। हालाँकि उस (अल्लाह) ने उन्हें पैदा किया है, तथा बिना कुछ ज्ञान के उसके लिए बेटे और बेटियाँ गढ़ लीं। वह पवित्र तथा सर्वोच्च है, उन बातों से, जो वे बयान करते हैं।

Surah hindi Translation and Transliteration

In Surah you can read the translation of Ahmad Raza Khan who was a renowned scholar of the Islamic world and his translation book is known as Kanzul Imaan. You can read the transliteration of Surah which will help you to understand how to read the Arabic text. Apart from that, we have included a Word-By-Word hindi Translation of the Arabic text of Surah .

Surah hindi Tafsir/Tafseer (Commentry)

In Surah we have included two Tafseer (Commentary) in hindi. The first one is from Mufti Ahmad Yaar Khan who was a well-known scholar. In this tafsir, we have also included the most popular Tafsir Ibn-Kathir which is the most comprehensive tafsir available in the world. You can read both or any one of your choice.

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