Quran Quote  :  It is these(Hypocrites) upon whom Allah has laid His curse: so He made them deaf and deprived them of their sight. - 47:23

सूरह यूसुफ - हिन्दी अनुवाद, लिप्यंतरण, तफ्सीर - आयात [60-70] तक

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بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ

 

قَالُواْ سَنُرَٰوِدُ عَنۡهُ أَبَاهُ وَإِنَّا لَفَٰعِلُونَ

वे बोले : हम उसके पिता को इसके लिए राज़ी करने का पूरा प्रयास करेंगे और हम अवश्य ऐसा करने वाले हैं।

وَقَالَ لِفِتۡيَٰنِهِ ٱجۡعَلُواْ بِضَٰعَتَهُمۡ فِي رِحَالِهِمۡ لَعَلَّهُمۡ يَعۡرِفُونَهَآ إِذَا ٱنقَلَبُوٓاْ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِمۡ لَعَلَّهُمۡ يَرۡجِعُونَ

और यूसुफ़ ने अपने सेवकों को आदेश दिया : उनका मूलधन[18] उनकी बोरियों में रख दो। ताकि वे उसे पहचान लें, जब वे अपने परिजनों की ओर वापस जाएँ, शायद वे फिर आ जाएँ।

فَلَمَّا رَجَعُوٓاْ إِلَىٰٓ أَبِيهِمۡ قَالُواْ يَـٰٓأَبَانَا مُنِعَ مِنَّا ٱلۡكَيۡلُ فَأَرۡسِلۡ مَعَنَآ أَخَانَا نَكۡتَلۡ وَإِنَّا لَهُۥ لَحَٰفِظُونَ

फिर जब वे अपने पिता के पास लौटे, तो कहा : ऐ हमारे पिता! हमसे (भविष्य में) माप रोक लिया गया है। अतः हमारे साथ हमारे भाई को भेजें कि हम माप (ग़ल्ला) लेकर आएँ और निःसंदेह हम उसकी अवश्य रक्षा करने वाले हैं।

قَالَ هَلۡ ءَامَنُكُمۡ عَلَيۡهِ إِلَّا كَمَآ أَمِنتُكُمۡ عَلَىٰٓ أَخِيهِ مِن قَبۡلُ فَٱللَّهُ خَيۡرٌ حَٰفِظٗاۖ وَهُوَ أَرۡحَمُ ٱلرَّـٰحِمِينَ

(याक़ूब अलैहिस्सलाम) ने कहा : क्या मैं इसके बारे में तुम्हारा वैसे ही विश्वास करूँ, जैसे इससे पहले इसके भाई (यूसुफ़) के बारे में तुम्हारा विश्वास किया था? तो अल्लाह ही बेहतर संरक्षण करने वाला है और वह सब दया करने वालों से अधिक दया करने वाला है।

وَلَمَّا فَتَحُواْ مَتَٰعَهُمۡ وَجَدُواْ بِضَٰعَتَهُمۡ رُدَّتۡ إِلَيۡهِمۡۖ قَالُواْ يَـٰٓأَبَانَا مَا نَبۡغِيۖ هَٰذِهِۦ بِضَٰعَتُنَا رُدَّتۡ إِلَيۡنَاۖ وَنَمِيرُ أَهۡلَنَا وَنَحۡفَظُ أَخَانَا وَنَزۡدَادُ كَيۡلَ بَعِيرٖۖ ذَٰلِكَ كَيۡلٞ يَسِيرٞ

और जब उन्होंने अपना सामान खोला, तो देखा कि उनका मूलधन उन्हें लौटा दिया गया है। वे बोल उठे : पिता जी! हमें और क्या चाहिए? यह हमारा धन हमें वापस कर दिया गया है। (अब) हम अपने घर वालों के लिए ग़ल्ला लाएँगे और अपने भाई की रक्षा करेंगे और एक ऊँट के बोझभर (ग़ल्ला) अधिक[19] लाएँगे। यह माप तो बहुत आसान है।

قَالَ لَنۡ أُرۡسِلَهُۥ مَعَكُمۡ حَتَّىٰ تُؤۡتُونِ مَوۡثِقٗا مِّنَ ٱللَّهِ لَتَأۡتُنَّنِي بِهِۦٓ إِلَّآ أَن يُحَاطَ بِكُمۡۖ فَلَمَّآ ءَاتَوۡهُ مَوۡثِقَهُمۡ قَالَ ٱللَّهُ عَلَىٰ مَا نَقُولُ وَكِيلٞ

उस (याक़ूब) ने कहा : मैं उसे तुम्हारे साथ हरगिज़ नहीं भेजूँगा, यहाँ तक कि तुम मुझसे अल्लाह के नाम पर प्रतिज्ञा करो कि उसे मेरे पास अवश्य लाओगे, सिवाय इसके कि तुम (सब) को घेर लिया[20] जाए। फिर जब उन्होंने उसे अपना दृढ़ वचन दिया, तो उस (याक़ूब) ने कहा : हम जो कुछ कह रहे हैं, उसपर अल्लाह निरीक्षक (गवाह) है।

وَقَالَ يَٰبَنِيَّ لَا تَدۡخُلُواْ مِنۢ بَابٖ وَٰحِدٖ وَٱدۡخُلُواْ مِنۡ أَبۡوَٰبٖ مُّتَفَرِّقَةٖۖ وَمَآ أُغۡنِي عَنكُم مِّنَ ٱللَّهِ مِن شَيۡءٍۖ إِنِ ٱلۡحُكۡمُ إِلَّا لِلَّهِۖ عَلَيۡهِ تَوَكَّلۡتُۖ وَعَلَيۡهِ فَلۡيَتَوَكَّلِ ٱلۡمُتَوَكِّلُونَ

और (जब वे जाने लगे) तो याक़ूब ने कहा : ऐ मेरे बेटो! तुम एक ही द्वार से (मिस्र में) प्रवेश न करना, बल्कि अलग-अलग द्वारों से प्रवेश करना। और मैं तुम्हें अल्लाह की ओर से (आने वाली) किसी चीज़ से नहीं बचा सकता। आदेश तो केवल अल्लाह का चलता है। मैंने उसी पर भरोसा किया और भरोसा करने वालों को उसी पर भरोसा करना चाहिए।

وَلَمَّا دَخَلُواْ مِنۡ حَيۡثُ أَمَرَهُمۡ أَبُوهُم مَّا كَانَ يُغۡنِي عَنۡهُم مِّنَ ٱللَّهِ مِن شَيۡءٍ إِلَّا حَاجَةٗ فِي نَفۡسِ يَعۡقُوبَ قَضَىٰهَاۚ وَإِنَّهُۥ لَذُو عِلۡمٖ لِّمَا عَلَّمۡنَٰهُ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَعۡلَمُونَ

और जब उन्होंने (मिस्र में उस तरह) प्रवेश किया, जैसे उनके पिता ने उन्हें आदेश दिया था, वह उन्हें अल्लाह की ओर से आने वाली किसी चीज़ से नहीं बचा सकते थे; परंतु याक़ूब के दिल में एक इच्छा थी, जो उन्होंने पूरी कर ली।[21] और निःसंदेह वह बड़े ज्ञानवान थे, इस वजह से कि हमने उन्हें ज्ञान प्रदान किया था। लेकिन अधिकांश लोग नहीं जानते।

وَلَمَّا دَخَلُواْ عَلَىٰ يُوسُفَ ءَاوَىٰٓ إِلَيۡهِ أَخَاهُۖ قَالَ إِنِّيٓ أَنَا۠ أَخُوكَ فَلَا تَبۡتَئِسۡ بِمَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ

और जब वे यूसुफ़ के पास प्रवेश किए, तो उन्होंने अपने भाई को अपने पास जगह दी।(और) कहा : निःसंदेह मैं तुम्हारा भाई (यूसुफ़) हूँ। अतः जो (दुर्व्यवहार) वे करते रहे हैं उसपर दुःखी न हो।

فَلَمَّا جَهَّزَهُم بِجَهَازِهِمۡ جَعَلَ ٱلسِّقَايَةَ فِي رَحۡلِ أَخِيهِ ثُمَّ أَذَّنَ مُؤَذِّنٌ أَيَّتُهَا ٱلۡعِيرُ إِنَّكُمۡ لَسَٰرِقُونَ

फिर जब उसने उन्हें उनके सामान के साथ तैयार कर दिया, तो (अनाज) मापने का बर्तन अपने भाई के सामान में रख दिया। फिर एक पुकारने वाले ने पुकारा : ऐ क़ाफ़िले वालो! निःसंदेह तुम निश्चय चोर हो!

Surah hindi Translation and Transliteration

In Surah you can read the translation of Ahmad Raza Khan who was a renowned scholar of the Islamic world and his translation book is known as Kanzul Imaan. You can read the transliteration of Surah which will help you to understand how to read the Arabic text. Apart from that, we have included a Word-By-Word hindi Translation of the Arabic text of Surah .

Surah hindi Tafsir/Tafseer (Commentry)

In Surah we have included two Tafseer (Commentary) in hindi. The first one is from Mufti Ahmad Yaar Khan who was a well-known scholar. In this tafsir, we have also included the most popular Tafsir Ibn-Kathir which is the most comprehensive tafsir available in the world. You can read both or any one of your choice.

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