Quran Quote  :  And the people of the Fire will cry out to the people of Paradise: 'Pour out some water on us or throw at us something of what Allah has bestowed upon you.' They will reply: 'Allah has forbidden them to the deniers of the truth, - 7:50

सूरह यूनुस - हिन्दी अनुवाद, लिप्यंतरण, तफ्सीर - आयात [10-20] तक

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بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ

 

۞وَلَوۡ يُعَجِّلُ ٱللَّهُ لِلنَّاسِ ٱلشَّرَّ ٱسۡتِعۡجَالَهُم بِٱلۡخَيۡرِ لَقُضِيَ إِلَيۡهِمۡ أَجَلُهُمۡۖ فَنَذَرُ ٱلَّذِينَ لَا يَرۡجُونَ لِقَآءَنَا فِي طُغۡيَٰنِهِمۡ يَعۡمَهُونَ

और अगर अल्लाह लोगों को बुराई जल्दी दे दे, उन्हें बहुत जल्दी भलाई प्रदान करने की तरह, तो निश्चय उनकी ओर उनकी अवधि पूरी कर दी जाए। (किंतु) हम उन लोगों को जो हमसे मिलने की आशा नहीं रखते, उनकी सरकशी ही में भटकता[3] हुआ छोड़ देते हैं।

وَإِذَا مَسَّ ٱلۡإِنسَٰنَ ٱلضُّرُّ دَعَانَا لِجَنۢبِهِۦٓ أَوۡ قَاعِدًا أَوۡ قَآئِمٗا فَلَمَّا كَشَفۡنَا عَنۡهُ ضُرَّهُۥ مَرَّ كَأَن لَّمۡ يَدۡعُنَآ إِلَىٰ ضُرّٖ مَّسَّهُۥۚ كَذَٰلِكَ زُيِّنَ لِلۡمُسۡرِفِينَ مَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ

और जब मनुष्य को कोई दुःख पहुँचता है, तो अपने पहलू पर, या बैठा हुआ या खड़ा हुआ हमें पुकारता है। फिर जब हम उससे उसका दुःख दूर कर देते हैं, तो ऐसे चल देता है, जैसे उसने हमें किसी दुःख के पहुँचने पर पुकारा ही नहीं। इसी प्रकार सीमा से आगे बढ़ने वालों के लिए शोभित कर दिया गया, जो वे किया करते थे।

وَلَقَدۡ أَهۡلَكۡنَا ٱلۡقُرُونَ مِن قَبۡلِكُمۡ لَمَّا ظَلَمُواْ وَجَآءَتۡهُمۡ رُسُلُهُم بِٱلۡبَيِّنَٰتِ وَمَا كَانُواْ لِيُؤۡمِنُواْۚ كَذَٰلِكَ نَجۡزِي ٱلۡقَوۡمَ ٱلۡمُجۡرِمِينَ

और निःसंदेह हमने तुमसे पहले बहुत-से समुदायों को विनष्ट कर दिया, जब उन्होंने अत्याचार किया। हालाँकि उनके रसूल उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आए थे, परंतु वे ऐसे नहीं थे कि ईमान लाते। इसी प्रकार हम अपराधी लोगों को बदला दिया करते हैं।

ثُمَّ جَعَلۡنَٰكُمۡ خَلَـٰٓئِفَ فِي ٱلۡأَرۡضِ مِنۢ بَعۡدِهِمۡ لِنَنظُرَ كَيۡفَ تَعۡمَلُونَ

फिर उनके बद हमने तुम्हें धरती में उत्तराधिकारी बनाया, ताकि हम देखें कि तुम कैसे कार्य करते हो?

وَإِذَا تُتۡلَىٰ عَلَيۡهِمۡ ءَايَاتُنَا بَيِّنَٰتٖ قَالَ ٱلَّذِينَ لَا يَرۡجُونَ لِقَآءَنَا ٱئۡتِ بِقُرۡءَانٍ غَيۡرِ هَٰذَآ أَوۡ بَدِّلۡهُۚ قُلۡ مَا يَكُونُ لِيٓ أَنۡ أُبَدِّلَهُۥ مِن تِلۡقَآيِٕ نَفۡسِيٓۖ إِنۡ أَتَّبِعُ إِلَّا مَا يُوحَىٰٓ إِلَيَّۖ إِنِّيٓ أَخَافُ إِنۡ عَصَيۡتُ رَبِّي عَذَابَ يَوۡمٍ عَظِيمٖ

और जब उन्हें हमारी स्पष्ट आयतें सुनाई जाती हैं, तो जो लोग हमसे मिलने की आशा नहीं रखते, वे कहते हैं : "इसके अलावा कोई और क़ुरआन ले आओ, या इसे बदल दो।" कह दो : मेरे लिए यह संभव नहीं है कि मैं इसे अपनी ओर से बदल दूँ। मैं तो केवल उसी का पालन करता हूँ, जो मेरी ओर वह़्य की जाती है। निःसंदेह, यदि मैं अपने पालनहार की अवज्ञा करूँ, तो मुझे एक बड़े दिन की यातना का डर है।

قُل لَّوۡ شَآءَ ٱللَّهُ مَا تَلَوۡتُهُۥ عَلَيۡكُمۡ وَلَآ أَدۡرَىٰكُم بِهِۦۖ فَقَدۡ لَبِثۡتُ فِيكُمۡ عُمُرٗا مِّن قَبۡلِهِۦٓۚ أَفَلَا تَعۡقِلُونَ

आप कह दें : यदि अल्लाह चाहता, तो मैं तुम्हें इसे पढ़कर न सुनाता और न वह तुम्हें इसकी ख़बर देता। फिर निःसंदेह मैं इससे पहले तुम्हारे बीच जीवन की एक अवधि व्यतीत कर चुका हूँ। तो क्या तुम नहीं समझतेॽ[4]

فَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّنِ ٱفۡتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًا أَوۡ كَذَّبَ بِـَٔايَٰتِهِۦٓۚ إِنَّهُۥ لَا يُفۡلِحُ ٱلۡمُجۡرِمُونَ

फिर उससे बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर झूठा आरोप लगाए अथवा उसकी आयतों को झुठलाएॽ निःसंदेह अपराधी लोग सफल नहीं होते।

وَيَعۡبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَا يَضُرُّهُمۡ وَلَا يَنفَعُهُمۡ وَيَقُولُونَ هَـٰٓؤُلَآءِ شُفَعَـٰٓؤُنَا عِندَ ٱللَّهِۚ قُلۡ أَتُنَبِّـُٔونَ ٱللَّهَ بِمَا لَا يَعۡلَمُ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَلَا فِي ٱلۡأَرۡضِۚ سُبۡحَٰنَهُۥ وَتَعَٰلَىٰ عَمَّا يُشۡرِكُونَ

और वे लोग अल्लाह को छोड़कर उनको पूजते हैं, जो न उन्हें कोई हानि पहुँचाते हैं और न उन्हें कोई लाभ पहुँचाते हैं और कहते हैं कि ये लोग अल्लाह के यहाँ हमारे सिफ़ारिशी हैं। आप कह दें : क्या तुम अल्लाह को ऐसी बात की सूचना दे रहे हो, जिसे वह न आकाशों में जानता है और न धरती में? वह पवित्र है और उससे बहुत ऊँचा है, जिसे वे साझीदार ठहराते हैं।

وَمَا كَانَ ٱلنَّاسُ إِلَّآ أُمَّةٗ وَٰحِدَةٗ فَٱخۡتَلَفُواْۚ وَلَوۡلَا كَلِمَةٞ سَبَقَتۡ مِن رَّبِّكَ لَقُضِيَ بَيۡنَهُمۡ فِيمَا فِيهِ يَخۡتَلِفُونَ

तथा लोग एक ही समुदाय थे, फिर वे अलग-अलग[5] हो गए और यदि वह बात न होती जो तुम्हारे पालनहार की ओर से पहले ही निश्चित हो चुकी[6], तो उनके बीच उसके बारे में अवश्य फ़ैसला कर दिया जाता, जिसमें वे विभेद कर रहे हैं।

وَيَقُولُونَ لَوۡلَآ أُنزِلَ عَلَيۡهِ ءَايَةٞ مِّن رَّبِّهِۦۖ فَقُلۡ إِنَّمَا ٱلۡغَيۡبُ لِلَّهِ فَٱنتَظِرُوٓاْ إِنِّي مَعَكُم مِّنَ ٱلۡمُنتَظِرِينَ

और वे कहते हैं कि उसपर उसके पालनहार की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गईॽ[7] आप कह दें : परोक्ष (का ज्ञान) तो केवल अल्लाह के पास है। अतः तुम प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करने वालों में से हूँ।[8]

Surah hindi Translation and Transliteration

In Surah you can read the translation of Ahmad Raza Khan who was a renowned scholar of the Islamic world and his translation book is known as Kanzul Imaan. You can read the transliteration of Surah which will help you to understand how to read the Arabic text. Apart from that, we have included a Word-By-Word hindi Translation of the Arabic text of Surah .

Surah hindi Tafsir/Tafseer (Commentry)

In Surah we have included two Tafseer (Commentary) in hindi. The first one is from Mufti Ahmad Yaar Khan who was a well-known scholar. In this tafsir, we have also included the most popular Tafsir Ibn-Kathir which is the most comprehensive tafsir available in the world. You can read both or any one of your choice.

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